बड़ी राहतः पीजीआई रोहतक में होगा अब कैंसर ट्यूमर का इलाज, शरीर के नॉर्मल टिश्यू रहेंगे सुरक्षित

बड़ी राहतः पीजीआई रोहतक में होगा अब कैंसर ट्यूमर का इलाज, शरीर के नॉर्मल टिश्यू रहेंगे सुरक्षित


कैंसर पीड़ितों के लिए राहत भरी खबर है। प्रदेश के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान पीजीआईएमएस में मरीज के कैंसर प्रभावित अंग (कैंसर ट्यूमर) का ही इलाज किया जाएगा। शरीर के दूसरे और सामान्य टिश्यू सुरक्षित रहेंगे। मरीजों को रेडिएशन के साइड इफेक्ट से बचाने के लिए यहां मंगाई जा रही लीनीयर एक्सीलरेटर मशीन का रास्ता साफ हो गया है।


 

संस्थान ने मशीन सप्लाई देने वाली कंपनी को ही इसका भवन बनाने का जिम्मा सौंप दिया है। इस 25 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट के लिए कंपनी को 18 महीने का समय दिया गया है। ऐसे में करीब डेढ़ साल बाद कैंसर मरीजों को नई तकनीक से राहत मिलने का इंतजार करना होगा।

पीजीआईएमएस ने कैंसर मरीजों की सुविधा को देखते हुए करीब 20 करोड़ रुपये की लीनियर एक्सीलरेटर मशीन खरीदी है। इसके कैंसर विभाग के साथ ही अलग भवन बनाया जाएगा। यहीं इसे स्थापित किया जाएगा। भवन का एक हिस्सा बेसमेंट यानी जमीन में होगा। इस पूरे प्रोजेक्ट पर 25 करोड़ रुपये खर्च होने की उम्मीद है।

फिलहाल संस्थान ने इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए कंपनी को ही मशीन के लिए भवन तैयार करने की जिम्मेदारी सौंप दी है। यह सारा काम 18 महीने में करना होगा। इससे आने वाले डेढ़ साल में कैंसर मरीजों को नई तकनीक का लाभ मिल सकेगा।



एआरबी से मिल चुकी है मंजूरी


पीजीआई के कैंसर विभाग में आने वाले मरीजों को राहत पहुंचाने के लिए प्रोजेक्ट एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड यानी एआरबी को भेजा गया था। इसे एआरबी से मंजूरी मिल गई है। रेडिएशन के खतरे को देखते हुए सुरक्षा मानकों को पूरा करने के लिए यह मंजूरी जरूरी है। इसलिए मशीन स्थापित होने वाले भवन का एक हिस्सा भूमिगत रहेगा। यहां रेडिएशन तत्व को सुरक्षित रखा जाएगा।

मशीन ट्यूमर की जगह ही फेंकेगी रेडिएशन
लीनियर एक्सीलरेटर मशीन शरीर के अंदर के कैंसर ट्यूमर का इलाज आसान करेगी। इस एक्सटर्नल मशीन का टारगेट यानी निशाना बेहद सटीक है। यह केवल उसी जगह रेडिएशन फेंकेगी, जहां कैंसर ट्यूमर होगा। जबकि आसपास के टिश्यू पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे। यह मशीन मिलीमीटर में मिलने वाले छोटे से छोटे टिश्यू के इलाज में भी समक्ष है। इसके लिए उस पर रेडिएशन फेंक कर उस टिश्यू को खत्म कर देगी।

मशीन के लिए बनाया जाएगा दो मंजिला भवन
लीनियर एक्सीलरेटर प्रोजेक्ट के तहत संस्थान के कैंसर विभाग के पास ही एक अलग भवन बनाया जाएगा। इस दो मंजिला भवन में ही मशीन स्थापित की जाएगी। यहां रेडिएशन खतरे के चलते कंक्रीट की मोटी दीवारें बनाई जाएंगी। एआरबी के मानकों के तहत रेडिएशन तत्व को रखने के लिए यह जरूरी है। इसके अलावा भवन में डॉक्टर, रेडियोलॉजिस्ट व अन्य स्टाफ के लिए कमरे बनाए जाएंगे। मरीजों की सुविधा को भी ध्यान में रखा गया है। इसके लिए भी व्यवस्था की जाएगी।



संस्थान में हर साल आ रहे 4000 नये मरीज


पीजीआई के कैंसर विभाग में हर साल करीब चार हजार से अधिक नये कैंसर मरीज आ रहे हैं। यह संख्या तेजी से बढ़ रही है। वर्ष 1987 में यह आंकड़ा करीब 500 था। उस समय न तो तकनीक थी और न ही इलाज की बेहतर सुविधाएं। वर्तमान में इलाज के आधुनिक उपकरणों के अलावा डॉक्टर, नई दवा और आधुनिक तकनीक उपलब्ध है। ऐसे में समय रहते बीमारी का पता लगाकर पीड़ित का इलाज संभव हुआ है। यही वजह है कि मरीजों का आंकड़ा बढ़ रहा है। विभाग की ओपीडी में भी रोजाना 200 मरीज आ रहे हैं।

मुंह और गले के 80 प्रतिशत मरीज
प्रदेश में कैंसर का एक बड़ा कारण तंबाकू है। इसके कारण मुंह, गले और फेफड़े के कैंसर रोगियों की संख्या अधिक है। यह कुल मरीजों का करीब 80 प्रतिशत है। दूसरे कारण में शराब, प्रदूषण, अनबैलेंस डाइट, व्यायाम से दूरी व अन्य कारण शामिल हैं।

कोबाल्ट थैरेपी से चलाया जा रहा है काम
पीजीआई के कैंसर विभाग में मरीजों को फिलहाल कोबाल्ट थैरेपी के जरिये राहत देने का प्रयास किया जा रहा है। कोबाल्ट मशीन से रेडिएशन तरंगें फेंककर सेंक लगाया जा रहा है। इससे मरीज के कैंसर प्रभावित अंग के अलावा शरीर के दूसरे टिश्यू भी क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। इससे मरीज को राहत मिलने में देरी के साथ दूसरी समस्याएं भी सामने आती हैं।

कंपनी को 18 महीने का दिया समय
पीजीआईएमएस में कैंसर मरीजों को बेहतर इलाज दिया जा रहा है। वर्तमान में मौजूदा संसाधनों से बेहतर व्यवस्था बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इसलिए मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। मरीजों की सुविधा को देखते हुए आधुनिक तकनीक वाली लीनियर एक्सीलरेटर मशीन मंगवाई जा रही है। इसके लिए अलग भवन भी बनाया जाएगा। इसका काम भी उसी कंपनी को सौंप दिया गया है। कंपनी को 18 महीने का समय दिया गया है।
- डॉ. अशोक चौहान, एचओडी, कैंसर विभाग, पीजीआईएमएस।